"रोता हुआ इंसान" 💧

यह एक सच्ची और दिल को छू लेने वाली कहानी है —


💔 शीर्षक: वो आदमी जो सड़क पर रो पड़ा

यह घटना दिल्ली की एक ठंडी सर्द रात की है।
सड़क के किनारे एक आदमी बैठा था — नाम था रवि
उसकी उम्र लगभग 40 साल रही होगी, कपड़े मैले थे, आंखों में नींद नहीं, और चेहरे पर गहरी थकान थी।

लोग उसे देखकर बस गुजर जाते थे। किसी ने ध्यान नहीं दिया,
लेकिन पास की चाय की दुकान वाले रामू ने गौर किया कि वह आदमी लगातार फोटो देख रहा था और रो रहा था

रामू पास गया और बोला,

“भाई साहब, सब ठीक तो है?”


रवि ने धीरे से कहा,

“ठीक होता तो यहाँ यूँ सड़क पर नहीं बैठा होता…”

रामू ने चाय दी और बात करने लगा। धीरे-धीरे जो कहानी सामने आई, उसने रामू को भी रुला दिया।

रवि एक सरकारी स्कूल में टीचर था।
उसकी पत्नी और एक 6 साल की बेटी थी।
एक दिन वह स्कूल से लौटा, तो घर आग में जल चुका था —
गैस सिलेंडर फट गया था, और उसकी पूरी दुनिया उसी दिन राख हो गई।

उस दिन के बाद से वह बोलना, हँसना, सब भूल गया।
कहता था —

“मैं रोज़ जीता हूँ, लेकिन हर रात मरता हूँ।”

अब वह कहीं काम नहीं करता। बस कभी-कभी उन जगहों पर जाता है,
जहाँ उसने अपनी बेटी के साथ खेला था या पत्नी के साथ चाय पी थी।
वहीं बैठकर रो लेता है — क्योंकि अब सुनने वाला कोई नहीं बचा।

रामू ने कहा, “भाई, जिंदगी रुकती नहीं है।”


रवि ने मुस्कराकर जवाब दिया,

“मुझे पता है… लेकिन मेरा मन अभी तक उस आग से बाहर नहीं निकला।”


🌧️ संदेश:

हर रोता हुआ इंसान कमजोर नहीं होता।
कभी-कभी वो अपने अंदर के तूफ़ान से लड़ रहा होता है —
बस दुनिया को उसका दर्द दिखाई नहीं देता।


क्या आप चाहेंगे मैं इस सच्ची कहानी पर एक भावनात्मक चित्र (इमेज) बनाऊँ —
जिसमें वो आदमी सड़क किनारे बैठा है, हाथ में फोटो है और आँखों से आँसू बह रहे हैं?

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